राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है।
राष्ट्रभाषा स्वाभाविक रूप से सृजित शब्द है।
2.
राजभाषा प्रशासन की भाषा है।
राष्ट्रभाषा जनता की भाषा है।
3. केवल प्रशासनिक अभिव्यक्ति राजभाषा में होती है।
समस्त राष्ट्रीय तत्वों की अभिव्यक्ति राष्ट्रभाषा में होती है।
4
इसकी शब्दावली सीमित है।
इसकी शब्दावली विस्तृत है।
5.
राजभाषा नियमों में बँधी है।
राष्ट्रभाषा स्वतंत्र या मुक्त प्रकृति की होती है।
6.
इसमें शब्दों का प्रवेश, निर्माण अथवा निष्कासन विद्वानों एवं विशेषज्ञों की समिति की राय से किया जाता है।
इसमें शब्दों का प्रवेश समाज से तथा प्रचलन के आधार पर रूढ होकर मान्यता प्राप्त करते हैं तथा इसके निर्माण में सभी वर्गों का हाथ होता है।
7.
राजभाषा के प्रयोग का क्षेत्र सीमित होता है।
राष्ट्रभाषा के प्रयोग का क्षेत्र इतना व्यापक होता है कि उसका व्यवहार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी होता है।
8.
राजभाषा के रूप में हिंदी का विकास क्रमशः व उत्तरोत्तर अंग्रेजी की जगह पर हो रहा है।
राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग देश विदेश में सर्वत्र हो रहा है।
राजभाषा मुख्यतः प्रशासनिक व्यवस्था और सरकारी कामकाज के लिए नियोजित होती है जबकि राष्ट्रभाषा उस भाषा को कहा जाता है जो पूरे राष्ट्र की आत्मा और पहचान बन जाती है। दोनों का अपना विशिष्ट महत्व है, परंतु राष्ट्रभाषा जनमानस से जुड़ी होती है और भावनात्मक स्तर पर अधिक प्रभावशाली होती है। हिंदी इन दोनों भूमिकाओं में धीरे-धीरे अपना स्थान सुदृढ़ कर रही है।
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