राजभाषा निति संबंधी प्रमुख निर्देश

राजभाषा नीति संबंधित प्रमुख निर्देश 



1. राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3(3) अंतर्गत संकल्प, सामान्य आदेश, नियम, अधिसूचनाएं, प्रशासनिक व अन्य रिपोर्ट, प्रेस विज्ञप्तियां, संसद के किसी सदन या दोनों सदनों के समक्ष राखी जाने वाले प्रशसनिक व अन्य रिपोर्ट, सरकारी कागजात, संविदा, करार, अनुज्ञप्तियाँ, अनुज्ञापत्र, निविदा सूचनाएं और निविदा प्रारूप व्दिभाषी रूप में, अंग्रेजी और हिंदी दोनों में जारी किये जाए।  किसी प्रकार के उल्लंघन के लिए हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाये।

2. अधीनस्थ सेवाओ को भर्ती परीक्षाओ में अंग्रेजी के अनिवार्य प्रश्न पत्र को छोडकर शेष विषयों के प्रश्न पत्रों के उत्तर हिंदी में भी देने की छूट दी जाये और ऐसे प्रश्न पत्र अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों भाषाओ में उपलब्ध कराये जाए । साक्षात्कार में भी वार्तालाप में हिंदी माध्यम की उपलब्धता अनुवार्य रूप से रहनी चाहिए। 
       केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों तथा उनसे संबध्द और अधीनस्थ कार्यालयों तथा केंद्र सरकार के     स्वामित्व में या नियंत्रणाधीन निगमों, उपक्रमों, बैंको आदि में सभी सेवाकालीन विभागीय तथा पदोन्नति परीक्षाओ में (अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाओ सहित) अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्रों के उत्तर हिंदी में भी देने की छूट दी जाये। प्रश्न पत्र अनिवार्य: दोनों भाषाओ (हिंदी और अंग्रेजी ) में तैयार कराये जाए जहाँ साक्षात्कार लिया जाना हो, वहां भी प्रश्नों के उत्तर हिंदी में देने की छूट दी जाये।

3. सभी प्रकार की वैज्ञानिक/तकनीकी संगोष्ठियों तथा परिचर्चाओ आदि में वैज्ञानिको आदि को राजभाषा हिंदी में शोध पत्र पढने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाये। उक्त शोध पत्र संबध्द मंत्रालय/विभाग/कार्यालय आदि के मुख्य विषय से संबंधित होने चाहिए।

4. 'क' तथा 'ख' क्षेत्रो में सभी प्रकार का प्रशिक्षण, चाहे वह अल्पावधि का हो अथवा दीर्घावधि क, सामान्यत: हिंदी माध्यम से होना चाहिए।  'ग' क्षेत्र में प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण सामग्री हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओ में तैयार कराई जाये और प्रशिक्षार्थी की मांग के अनुसार हिंदी या अंग्रेजी में उपलब्ध कराई जाएं। 

5. केंद्र सरकार के कार्यालयों में जब तक हिंदी टंकक व हिंदी आशुलिपिक संबंधी निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नही कर लिये जाते, तब तक उनमे केवल हिंदी टंकक व हिंदी आशुलिपिक ही भर्ती किये जाएं। 

6. अंतर्राष्ट्रीय संधियों और करारो को अनिवार्य रूप से हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओ में तैयार कराया जाये । विदेश में निष्पादित संधियों और करारो के प्रमाणिक अनुवाद तैयार कराके रिकार्ड के लिए फाइल में रखे जाएं।
7. विदेश में स्थित भारतीय कार्यालयों सहित सभी मंत्रालयों/विभागों आदि की लेखन सामग्री, नाम पट्ट, सूचना पट्ट, फार्म प्रक्रिया संबंधी साहित्य, रबड़ की मौहरे, निमंत्रण पत्र आदि अनिवार्य रूप से हिंदी - अंग्रेजी में  बनवाए जाएं।
8. भारत सरकार के मंत्रालयों, कार्यालयों विभागों,बैंको , उपक्रमों, आदि व्दारा असांविधिक प्रक्रिया साहित्य जैसे - नियम,कोड, मैनुअल, मानक फार्म आदि को अनुवाद कराने के लिए केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो को भेजा जाये 
भारतीय प्रशासनिक सेवा अनुवाद ब्यूरो को भेजा जाये। 

9. भारतीय प्रशासनिक सेवा और अन्य अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियो के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में प्रशिक्षण के दौरान हिंदी भाषा का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाता है।  तथापि, अधिकांश अधिकारी, सेवा में आने के पश्चात सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग नही करते, इससे अनेक अधीनस्थ कार्य कर रहे अधिकारियो / कर्मचारियों में सही संदेश भी जाता है।  परिणामस्वरूप,सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग अपेक्षित मात्रा में नही हो पाता है।  मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों/उपक्रमों आदि के वरिष्ठ अधिकारियो का यह संवैधानिक दायित्व है की वह अपने सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक हिदी का प्रयोग करे । इससे उनके अधीन कार्य से रहे अधिकारियो को प्रेरणा मिलेगी तथा राजभाषा नीति के अनुपालन में प्रगति मिलेगी।

10. सभी मंत्रालय/विभाग आदि हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए चलाई गई विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओ का अपने संबध्द एवं अधीनस्थ कार्यालयों में भी व्यापक प्रचार /प्रसार करे ताकि अधिक अधिक अधिकारी /कर्मचारी इन योजनाओ में का लाभ उठा सके और सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो ।

11। प्रशिक्षण और कार्यशालाओ सहित राजभाषा हिंदी संबंधी कार्य कर रहे अधिकारियो/कर्मचारियों को कार्यालय में बैठने के लिए अच्छा व समुचित स्थान भी उपलब्ध कराया जाये ताकि वे अपने दायित्वों का निर्वाह ठीक तरह से कर सके।

12. राजभाषा विभाग व्दारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मंत्रालयों/विभाग/कार्यालय आदि नियमित रूप से अपने कर्मचारियों को नामित करे और नामित कर्मचारियों को निर्देश दे कि वे नियमित रूप से कक्षाओ में उपस्थित रहे, पूरी तत्परता से प्रशिक्षण प्राप्त करे तथा परीक्षाओ में बैठे /प्रशिक्षण को बीच में छोड़ने या परीक्षाओ में न बैठने वाले मामलो को कड़ाई से निपटा जाये।

13. सभी मंत्रालय/विभाग/कार्यालय आदि हिदी में प्रशिक्षण के लिए नामित अधिकारियो /कर्मचारियों के लाभ के लिए "लीला हिंदी प्रबोध, प्रवीण, व प्राज्ञ" आदि सॉफ्टवेयर के उपयोग के लिए कम्प्यूटर की सुविधा उपलब्ध कराई जाये।

14. सभी मंत्रालय/विभाग /कार्यालय आदि अपने - अपने दायित्वों से संबंधित विषयों पर हिंदी में मौलिक पुस्तक लेखन को प्रोत्साहित करने तथा अपने विषयों से संबंधित शब्द भंडार को समृद्ध करने के लिए आवश्यक कदम उठाये।

15. सभी मंत्रालय /विभाग /कार्यालय आदि अपने केन्द्रीय सेवाओ के प्रशिक्षण संस्थानों में राजभाषा हिंदी में प्रशिक्षण की व्यवस्था उसी स्तर पर करे जिस स्तर पर लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में कराई जाती है और अपने विषयों से संबंधित साहित्य का सृजन करवाये जिससे प्रशिक्षण के बाद अधिकारी अपने कामकाज सुविधापूर्वक राजभाषा हिंदी में कर सके।

16.  सभी मंत्रालय/विभाग /कार्यालय /संस्थान आदि अपने कार्यालय में हिंदी में कार्य का माहौल तैयार करने के लिए हिंदी पत्रिकाओ का प्रकाशन कर रहे है इन पत्रिकाओ में विशेषकर उक्त कार्यालय के समान्य कार्यो तथा राजभाषा हिंदी से संबंधित आलेख प्रकाशित किए जाये।

17. नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों की छमाही बैठको में सदस्य कार्यालय के प्रशासनिक प्रमुख अनिवार्य रूप से भाग ले।

18. सभी मंत्रालय /विभाग /कार्यालय आदि "लीला" अर्थात लर्निग इंडियन लैंगवेज थ्रू आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग के लिए कम्प्यूटर सुविधा उपलब्ध कराएं।

19. कम्प्यूटर पर हिंदी प्रयोग के लिए केवल यूनीकोड एनकोडिंग का प्रयोग किया जाये।

20. भारत के सभी मंत्रालयों/ विभागों तथा अन्य कार्यालयों में प्रयोग में आने वाली सभी रबड़ की मोहरे और कार्यालय की मुद्राएं व्दिभाषी रूप में हिंदी के शब्द ऊपर रखते हुये प्रयोग की जाये।

21. पदनाम, कार्यालय का नाम, पता आदि के बारे में जो मोहरे बनवाई जाये, उनमे एक पंक्ति हिंदी की और फिर एक पंक्ति अंग्रेजी की हो या एक ही पंक्ति में हिंदी और उसके बाद अंग्रेजी में लिखा ही।

22. बैंको के चैक पर यदि व्दिभाषी मोहर लगाने के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध न हो तो 'क' और 'ख' क्षेत्रो के कार्यालयों आदि में चैको पर मोहर केवल हिंदी में और 'ग' क्षेत्र के कार्यालयों में केवल हिंदी या अंग्रेजी में लगा दी जाये।

23. जो मोहर टिप्पणी आदि की जगह पर बनाई जाती है वे या तो व्दिभाषी बनाई जाये या 'क' और 'ख' क्षेत्र के कार्यालयों आदि में केवल हिंदी में और 'ग' क्षेत्र के कार्यालयों में केवल हिंदी या अंग्रेजी में बनाई जाये ।

24. रबड़ की मोहर तैयार करते समय भाषाओ के अक्षर समान आकार के होने चाहिए।

25. 'क' और 'ख ' क्षेत्रो में स्थित कार्यालयों के नाम पट्ट रबड़ की मोहरे, पत्र - शीर्ष, व्दिभाषी रूप से बनवाये जाये।

26. देवनागरी के नाम पट्ट, मोहरे आदि पर पूरा नाम तो एक रीति से लिखा जा सकत है, परन्तु संक्षिप्त नाम लिखने ले लिए अनेक पध्दतियां है।  जैसे यदि किसी का नाम राम प्रसाद गुप्ता है तो देवनागरी लिपि में उसका संक्षिप्त नाम किसी एक प्रकार से लिखा जा सकता है :- रा. प्र. गुप्ता, राम प्रसाद गुप्ता, आर.पी. गुप्ता।

यह प्रत्येक की अपनी रुचि पर निर्भर करता है कि वह अपना नाम किस प्रकार से लिखे यदि कोई व्यक्ति अपना किसी एक प्रकार से लिखना चाहता है तो उसे दूसरी रीति से लिखने को बाध्य नही किया जा सकता है। 




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