हिंदी के प्रयोग - प्रसार को बढ़ने के लिए उठाये गए कदम
भारत की राजभाषा नीति का मूल उद्देश्य सरकारी कामकाज में हिंदी का व्यापक उपयोग और प्रसार करना है, ताकि आम जनता तक सुगम और सहज संचार सुनिश्चित हो सके। संविधान के अनुच्छेद 343 के अंतर्गत हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है और सरकार ने समय-समय पर इसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं और निर्देश जारी किए हैं।
आज डिजिटल युग में भी राजभाषा हिंदी का महत्व कम नहीं हुआ बल्कि और बढ़ गया है। ई-ऑफिस, मोबाइल ऐप, वेबसाइट, सोशल मीडिया और सरकारी सेवाओं के डिजिटलीकरण में हिंदी को अनिवार्य स्थान देने के लिए ठोस प्रयास हो रहे हैं।
नीचे ऐसे प्रमुख कदमों का विवरण दिया गया है, जिनसे सरकारी तंत्र में हिंदी के प्रयोग और प्रसार को सुदृढ़ किया जा रहा है।
✅ 1️⃣ राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन
सभी विभागों और कार्यालयों के लिए अनिवार्य किया गया है कि वे अपनी राजभाषा कार्यान्वयन समिति गठित करें। इसका अध्यक्ष संबंधित कार्यालय का प्रमुख होता है। यह समिति कार्यालय में हिंदी के प्रयोग की योजना बनाती है, उसकी समीक्षा करती है और आवश्यक सुधार सुनिश्चित करती है।
✅ 2️⃣ अहिंदी भाषी अधिकारियों को उचित प्रतिनिधित्व
समिति में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उसमें अहिंदी भाषी अधिकारियों को भी समुचित प्रतिनिधित्व मिले। जहां तक संभव हो, समिति में आधे सदस्य अहिंदी भाषी हों। इससे हिंदी के प्रचार में सर्वभारतीय दृष्टिकोण और सहयोग सुनिश्चित होता है।
✅ 3️⃣ त्रैमासिक बैठकें अनिवार्य
हर राजभाषा कार्यान्वयन समिति को कम से कम प्रत्येक तिमाही में एक बैठक करनी आवश्यक है। इसमें हिंदी प्रयोग की समीक्षा, समस्याओं का समाधान और आगामी लक्ष्यों की योजना बनाई जाती है।
✅ 4️⃣ हिंदी प्रतियोगिता विजेताओं को आमंत्रण
हिंदी से जुड़ी प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत कर्मचारियों को समिति की बैठकों में विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। इससे हिंदी के प्रति कर्मचारियों में उत्साह और सम्मान बढ़ता है।
✅ 5️⃣ हिंदी संसाधन और प्रशिक्षण सुविधा
सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि कार्यालयों में हिंदी टाइपराइटर, टाइपिस्ट, आशुलिपिक तथा हिंदी संदर्भ साहित्य उपलब्ध हों। साथ ही कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से हिंदी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है।
✅ 6️⃣ द्विभाषिक उत्तर लेखन की सुविधा
विभागीय और पदोन्नति परीक्षाओं में यह प्रावधान है कि कर्मचारी हिंदी या अंग्रेज़ी किसी भी भाषा में उत्तर दे सकें। साक्षात्कार भी हिंदी में देने की छूट है, जिससे हिंदीभाषी उम्मीदवारों को सुविधा और आत्मविश्वास मिलता है।
✅ 7️⃣ प्रशिक्षण संस्थानों में हिंदी माध्यम
सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों में हिंदी माध्यम से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है, ताकि हिंदी में कार्य करने की योग्यता और सहजता विकसित हो सके।
✅ 8️⃣ क्षेत्रीय विनिमय योजना
‘क’ और ‘ख’ क्षेत्र में हिंदी माध्यम से प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों को कुछ समय के लिए ‘ग’ क्षेत्र में भेजा जाता है। इसका उद्देश्य है गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी शिक्षण को और सशक्त बनाना।
✅ 9️⃣ हिंदी दिवस, पखवाड़ा और मास
हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसके साथ ही हिंदी पखवाड़ा और मास के आयोजन की भी परंपरा है। इस दौरान हिंदी प्रचार-प्रसार के लिए प्रतियोगिताएं, कार्यशालाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
✅ 10️⃣ त्रिभाषा सूत्र का कार्यान्वयन
भारत सरकार के सभी राज्यों में त्रिभाषा सूत्र लागू है, जो देश की भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए हिंदी के प्रचार को भी सुनिश्चित करता है।
✅ 11️⃣ इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार
हिंदी के उत्कृष्ट कार्य को प्रोत्साहन देने के लिए इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार योजना लागू की गई है। यह पुरस्कार विभागों/कार्यालयों को उनकी उपलब्धियों के आधार पर दिया जाता है।
✅ 12️⃣ नकद पुरस्कार
कर्मचारियों को उनकी वार्षिक राजभाषा रिपोर्ट में हिंदी में किए गए कार्य के आधार पर नकद पुरस्कार भी दिए जाते हैं। यह एक सीधा और प्रभावी प्रोत्साहन है।
✅ 13️⃣ आशुलिपि और टाइपिंग भत्ता
सरकारी कर्मचारियों को हिंदी में आशुलिपि और टाइपिंग के लिए प्रोत्साहन भत्ता दिया जाता है। यह कर्मचारियों को हिंदी में कार्य-कौशल विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।
✅ 14️⃣ प्रोत्साहन राशि में वृद्धि
हिंदी शिक्षण योजना के तहत प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वालों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में हाल के वर्षों में वृद्धि की गई है। इससे कर्मचारी हिंदी सीखने के प्रति और अधिक प्रेरित होते हैं।
✅ 15️⃣ नामकरण हिंदी में
नए सरकारी भवनों, परिसरों, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के नाम हिंदी में रखने पर जोर दिया गया है। यह सार्वजनिक जीवन में हिंदी की उपस्थिति को बढ़ाता है।
✅ 16️⃣ प्रचार सामग्री का प्रदर्शन
हिंदी सप्ताह/पखवाड़ा के दौरान हिंदी प्रचार सामग्री का प्रदर्शन और वितरण किया जाता है। इससे कर्मचारियों और जनता में जागरूकता और जुड़ाव बढ़ता है।
✅ 17️⃣ हिंदी कार्यशालाओं का आयोजन
हिंदी में कार्य करने की झिझक दूर करने के लिए हिंदी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। इसमें लेखन, अनुवाद और कार्यालयी हिंदी का अभ्यास कराया जाता है।
✅ 18️⃣ 'क' क्षेत्र के अधिकारियों की भूमिका
‘क’ क्षेत्र से प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करें। यह अन्य क्षेत्रों में भी हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देता है।
✅ 19️⃣ संसद की समिति
राष्ट्रपति ने लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्यों की एक समिति बनाई है, जो राजभाषा के प्रचार-प्रसार की समीक्षा कर रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपती है। यह नीति-निर्माण में लोकतांत्रिक निगरानी सुनिश्चित करता है।
✅ 20️⃣ हिंदी प्रशिक्षण अनिवार्यता
45 वर्ष से कम आयु वाले सभी कर्मचारियों के लिए हिंदी प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। यह दीर्घकालीन योजना हिंदी के प्रयोग को संस्थागत रूप से मजबूत बनाती है।
✅ 21️⃣ जनता के पत्रों का हिंदी में उत्तर
यह निर्देश दिया गया है कि जनता से हिंदी में प्राप्त पत्रों का उत्तर हिंदी में ही दिया जाए। इससे नागरिकों को अपनी राजभाषा में सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में सुविधा होती है।
✅ नवीनतम पहल
भारत सरकार ने ई-ऑफिस, पोर्टलों और मोबाइल ऐप्स में द्विभाषिकता (हिंदी-अंग्रेज़ी) को अनिवार्य किया है। ई-गवर्नेंस सेवाओं, डिजिलॉकर, सीएससी पोर्टल और सरकारी सोशल मीडिया हैंडल पर हिंदी सामग्री का प्रतिशत लगातार बढ़ाया जा रहा है।
✅ निष्कर्ष
भारत सरकार की ये सभी योजनाएं और निर्देश इस लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं कि सरकारी कामकाज जनता की भाषा में हो। हिंदी केवल एक भाषा नहीं बल्कि लोकतंत्र में भागीदारी और समावेशन का माध्यम है।
हमें सभी को मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि राजभाषा हिंदी में सरकारी कार्य अधिक से अधिक हो – सरल, प्रभावी और जनहितकारी।
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